सी प्रोग्रामिंग का परिचय|Introduction to C Programming in Hindi

सी प्रोग्रामिंग का परिचय|Introduction to C Programming in Hindi
सी प्रोग्रामिंग का परिचय|Introduction to C Programming in Hindi

    सी प्रोग्रामिंग का परिचय|Introduction to C Pprogramming

    प्रोग्राम (Program):-सरल शब्दों में, प्रोग्राम संबंधित (Related) निर्देशों (Instructions) का एक समूह होता है। यदि हमें कंप्यूटर से कुछ कार्य कराना हैं तो हम प्रोग्राम की सहायता से करा सकते हैं।


    उदाहरण : Notepad, M.S Word, M.S. Excel etc.

    जैसे : Notepad में Text से Related कार्य कर सकते हैं जैसे Text को लिखना, Text के साइज को बड़ा करना आदि। अर्थात Text को लिखना, Text के साइज को बड़ा करना आदि यह सभी निर्देश हैं तथा इन निर्देश (Instructions) के समूह को Program कहते हैं जो यहाँ पर Notepad है।

    What is प्रोग्रामिंग (Programming)

    वह तरीका जिसके माध्यम से हम कम्प्यूटर के साथ Communication कर सके उसे Programming कहते हैं।

    क्योकि कंप्यूटर के साथ हम हिंदी या अंग्रेजी में Communicate (संवाद) नहीं सकते, यदि हमें कंप्यूटर से कुछ कार्य करना है तो हमें प्रोग्रामिंग (Programming) करनी होगी।

    प्रोग्रामिंग भाषा (Programming Language)

    वह भाषा (Language) जिसकी सहायता से हम प्रोग्रामिंग कर सकते हैं उसे प्रोग्रामिंग भाषा (Programming language) कहते हैं।
    Programming करने के लिए अब तक अनेक भाषाओं का विकाश किया जा चुका है।
    जैसे : C, C++, Java, Python आदि।

    प्रोग्रामिंग भाषाओं के स्तर (Levels of Programming languages)

    प्रोग्रामिंग भाषाओँ के 3 लेवल होते है
    • Low level or Machine language
    • Middle level or Assembly language
    • High-level language

    1. निम्न स्तरीय या मशीन भाषा (Low level or Machine language)

    • कंप्यूटर की भाषा (Binary Language) कंप्यूटर की मात्र भाषा है।
    • कम्प्यूटर केवल बाइनरी भाषा को ही समझ सकता है।
    • बाइनरी भाषा में केवल 0 और 1 का ही उपयोग किया जाता है।
    • निम्न स्तर की भाषा में कोडर (प्रोग्रामर) बाइनरी भाषा में ही Code लिखते थे तथा इसी प्रकार प्रोग्राम बनाते थे।
    • सबसे पहले Program Low Level Language में ही बनाये जाते थे।
    • इसे कंप्यूटर Directly (बिना कम्पाइल या इंटरप्रेट किये) समझ लेता था।
    • यह बहुत तेज होती थी।
    • जैसे :- 00010110 - यह बाइनरी कोड हे जिसका अर्थ 22 होता है।

    लाभ (Advantage)

    • एक कंप्यूटर आसानी से Low Level की भाषा को समझ सकता है।
    • क्योकि इसमें कोड को बाइनरी भाषा में लिखा जाता है इसलिए किसी अनुवादक (Translator) की आवश्यकता नहीं होती है।
    • यह बहुत तेज होती है।

    नुकसान (Disadvantage)

    • Low Level Language में कोड लिखना तथा समझना बहुत कठिन होता है।
    • Low Level Language का कोड मशीन पर निर्भर करता होता है, अर्थात कोड को जिस मशीन पर लिखा गया है, वह उसी मशीन पर सम्पादित (Execute) होगा वह कोड अन्य मशीन पर Execute नहीं हो सकता है।
    • इसमें त्रुटिओं (Errors) की ज्यादा सम्भावनाये होती है तथा त्रुटिओं को ढूढ़ना तथा संसोधित करना भी कठिन होता है।

    2. Middle Level Language (मध्य स्तर की भाषा या असेम्बली भाषा)

    मध्य स्तर की भाषा में हमें विशेष चिन्हो, अक्षरों तथा शब्दों, आदि का उपयोग करके कोड लिखते हैं।
    बाइनरी के कुछ कोड को कुछ चिन्ह अक्षर या शब्द के साथ प्रतिस्थापित (Replace ) कर दिया जाता है।
    उदाहरण :- यानि 0101101100011100 को हेलो से रिप्लेस कर दें। तो हम अपने कोड 0101101100011100 का उपयोग करना होगा तब हम 'HELLO' का उपयोग कर सकते हैं जिससे हमें कोड को लिखने में और समझने में आसानी होगी।
    अर्थात मध्य स्तर की भाषा में बाइनरी कोड को कुछ चिन्हो या अक्षरों या शब्दों को Assign कर दिया जाता है।
    क्योकि कंप्यूटर केवल Low Level की (Binary) भाषा को समझ सकता है इसलिए Middle Level की भाषा को निम्न स्तर की भाषा में अनुवाद करने के लिए Assembler (वह प्रोग्राम को मध्य स्तर की भाषा को निम्न स्तर की भाषा में परिवर्तित करता है ) का उपयोग किया जाता है।
    Assembler मध्य स्तर की भाषा में लिखे गये प्रत्येक चिन्ह, अक्षर, या शब्द को उसके बाइनरी कोड में अनुवाद कर देता है। तथा इस प्रकार कोड Execute होता है।


    लाभ :

    • मध्य स्तर की भाषा में कोड लिखना तथा समझना निम्न स्तर की भाषा से सरल होता है।
    • इसको समझना निम्न स्तर भाषा से आसान होता है ।

    नुकसान :

    • मध्य स्तर की भाषा भी मशीन आर्किटेक्चर पर निर्भर है। इसलिए इसका कोड भी उसी मशीन पर Execute होगा जिसके लिए कोड लिखा गया है।
    • इसे निम्न स्तर की भाषा में अनुवाद करने की आवश्यकता होती है, इसलिए यह निम्न स्तर की भाषा से धीमी होती है।

    3- High Level Language (उच्च स्तर की भाषा )

    उच्च स्तर की भाषा मानव भाषाओ (Human Languages) के सामान है। इसमें Code/Program लिखने के लिए अंग्रेजी के शब्दों का उपयोग किया जाता है।
    उच्च स्तर की भाषा में पूर्व निर्धारित (Predefined) शब्दों का एक सेट होता है जिसे कीवर्ड (Keyword) कहते हैं।
    कीवर्ड तथा ज्ञात नियमों का सेट को Syntax कहते हैं।
    उच्च स्तर की भाषा को निम्न भाषा में परिवर्तित (Convert) करने के लिये कम्पलाइर (Compiler) या इंटरप्रेटर (Interpreter) का उपयोग किया जाता है।
    उदारण : C, C++, Java, Python आदि उच्च स्तर की भाषाएँ हैं।
    Note:- Keyword तथा Syntax के बारे में आगे विस्तार से चर्चा करेंगे।

    लाभ (Advantage)

    • उच्च स्तर की भाषा में कोड लिखना तथा समझना अधिक आसान होता है।
    • उच्च स्तर की भाषा में बनाये गए प्रोग्राम को अलग - अलग मशीन पर चला सकते हैं।
    • इसमें त्रुटिओं (Errors) को ढूढ़ना तथा त्रुटिओं को संसोधित करना अधिक आसान होता है।


    नुकसान :

    • क्योंकि उच्च स्तर की भाषा को निम्न स्तर की भाषा में परिवर्तित किया जाता है इसलिए उच्च स्तर की भाषा से धीमी होती है।

    डिबगिंग (Debugging)

    • डिबगिंग एक प्रकिया है जिसके द्वारा कोड में से Error तथा Bugs को Detect तथा Correct किया जा सकता है।
    • डिबगिंग की प्रकिया में बहुत सरे Steps होते है सबसे पहले Bugs को Identify किया जाता है उसके बाद Bug के स्थान या सोर्स को Find किया जाता है उसके बाद Bug को फिक्स करके प्रोग्राम को Error Free बनाया जाता हैं जिससे की प्रोग्राम सही ढंग के कार्य करे।
    • डिबगिंग को करने के लिए Debugger टूल का प्रयोग किया जाता है। Debugging टूल को Debugger कहा जाता है।

    कम्पाइलर (Compiler)

    कम्पाइलर एक सॉफ्टवेयर प्रोग्राम है जो की उच्च स्तर की भाषा को निम्न स्तर की भाषा (Binary Language) में Translate करता है, जिससे की कंप्यूटर उस बाइनरी लैंग्वेज को समझ सके और आपका Program/Code Execute हो सके।
    अर्थात उच्च स्तर की भाषा को निम्न की भाषा में अनुबाद (Translate) करना कंपाइलेशन (Compilation) कहलाता है

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